Monday 5 May 2014

इंसान

"इंसान घर बदलता है।
लिबास बदलता है।
रिश्ते बदलता है।
दोस्त बदलता है।
फिर भी परेशान क्यों रहता है ?????

क्यों वो खुद को नहीं बदलता"

मिर्ज़ा ग़ालिब नें कहा है:
"उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा,
धुल चेहरे पे थी,और आइना साफ़ करता रहा"

No comments:

Post a Comment

Hello

Happy Makar Sankranti

Recent Story

Featured News

Back To Top